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बुधवार, दिसंबर 13

किस की है माला(रुबाई)




जीवनभर मणकों की फेरी माला
कर के तेरी एवं मेरी माला
जब बिखरे मणके सारे तब समझे
वो ना मेरी थी ना तेरी माला
कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी