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गुरुवार, दिसंबर 21

चलना सीख ले दौड़ना आ जाएगा(मुक्तक)

 

आज चलना सीख ले कल दौडना आ जाएगा
ज़िंदगी की मंज़िलों को खोजना आ जाएगा
ज्ञान का दीपक जला ले मन में तेरे तू 'कुमार'
रोशनी में उस की सच को तौलना आ जाएगा
कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी