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मंगलवार, दिसंबर 5

रोयी प्यासी दीवानी (रुबाई)


 
जैसे होती है बारिश तूफानी
ज्यों चलती है आंधी रेगिस्तानी
दिल टूटा तो तन्हाई में तन्हा
रोयी खुलकर इक प्यासी दीवानी
कुमार अहमदाबादी

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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी