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गुरुवार, दिसंबर 21

सब कहते हैं दिलदार मुझे(रुबाई)




 सच कहता हूं सच है स्वीकार मुझे

फूलों से प्यार है बहुत प्यार मुझे

परबत झरने सागर सूरज चंदा

जी ये सब कहते हैं दिलदार मुझे
कुमार अहमदाबादी

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी