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शुक्रवार, दिसंबर 22

मधुवन में खो जाएं (रुबाई)


 कुछ तुम कुछ मैं मौसम को महकाएं

मादक स्वर में मीठे नग़में गाएं

दोनों मिलकर कंगन को खनकाएं

मधुरस पीकर मधुवन में खो जाएं

कुमार अहमदाबादी 

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी