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गुरुवार, दिसंबर 7

चुस्की लेने दो(रुबाई)


मस्ती के पल जी लेने दो प्रीतम
छोटी सी चुस्की लेने दो प्रीतम
कुछ मीठा कुछ फीका कुछ कुछ खट्टा
अंगुर का रस पी लेने दो प्रीतम
कुमार अहमदाबादी 


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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी