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मंगलवार, दिसंबर 26

मंजिल अपनी चुन लो(रुबाई)

 





कहती है जो मधुबाला वो सुन लो

पीते पीते अच्छा सपना बुन लो 

सपना जीवन की मंजिल होता है

तुम भी कोई मंजिल अपनी चुन लो

कुमार अहमदाबादी

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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी