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रविवार, दिसंबर 24

बसायो कान्हा (रुबाई)


माँ को मुंह में ब्रह्म दिखायो कान्हा

गोपीयों से रास रचायो कान्हा

रण में गीता ज्ञान सुनायो कान्हा

नव नगरी सागर तट बसायो कान्हा

कुमार अहमदाबादी

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी