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शुक्रवार, फ़रवरी 2

ये क्या लाये हो जी(रुबाई)


कुछ दिन पहले एक रुबाई पेश की थी। जो सौंदर्य में वृद्धि करने के लिये पत्नी या प्रेमिका द्वारा मंगवाये जाने वाले सौंदर्य प्रसाधनों ( ब्युटी प्रोडक्ट) पर आधारित या केन्द्रित थी। आज जो रुबाई पेश कर रहा हूं। वो उस के बाद के घटना क्रम पर आधारित है; अर्थात जब भी कभी पति या प्रेमी फरमाइश के अनुसार सामग्री ले आता है। तब प्रेमिका या पत्नी जो कहती है। उस पर आधारित है।


एकदम ढीली कुर्ती लाये हो जी

कितनी फीकी बिन्दी लाये हो जी

मैं क्या कहती हूं क्या ले आते हो

देखो कैसी चुनरी लाये हो जी

कुमार अहमदाबादी

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी