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सोमवार, फ़रवरी 26

फूटरा सगीजी (राजस्थानी मुक्तक)


फूटरा है बडा सगी जी

सोवणा है बडा सगी जी

बात आ है सगो जी रो मन

मोवणा है बडा सगी जी

कुमार अहमदाबादी



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  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी