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बुधवार, फ़रवरी 21

जीवन चक्र (अनुष्टुप छंद)

 कल का कल है आज

आज का कल है कल

जीवन चक्र है यार

जी ले इसे पल पल

कुमार अहमदाबादी 



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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी