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रविवार, फ़रवरी 18

अपनी अपनी दुनिया(रुबाई)



मीठे हों या खारे तन्हा हैं सब 

जलधारों के धारे तन्हा हैं सब

सब की अपनी दुनिया है दुनिया में

सागर सूरज तारे तन्हा हैं सब 

कुमार अहमदाबादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी