हे सरस्वती देवी, हे सरस्वती देवी
तेरी भक्ति में डूबा रहूं
तेरी पूजा मैं करता रहूं
इतनी तू मुझ को शक्ति दे
हे सरस्वती देवी..........
शब्द की साधना चलती रहे
काव्य की धारा बहती रहे
कलम सत्कर्म करती रहे
इतनी तू मुझ को शक्ति दे
हे सरस्वती देवी...........
शब्द सदा रंग भरते रहे
मेघ धनुष भी बनते रहे
शब्द बाग खिलते रहे
सब को सुगंधित करते रहे
इतनी तू मुझ को शक्ति दे
हे सरस्वती देवी..........
कुमार अहमदाबादी
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