जिंदगी में कभी
प्यासा होने का सुख भोगा है
तुम सोचोगे! प्यासा होने का सुख
प्यास का ना मिटना भी एक सुख देता है
ये सुख का एसा पौधा है
जो अतृप्ति के आंगन खिलता है
जिस पर छटपटाहट के फूल लगते है
आंसू जेठ की तपती दोपहरी बन जाते है
और मन?
एसा रेगिस्तान बन जाता है
जिस में दूर तक पानी की एक बूंद दिखायी नहीं देती
पानी बूंद हा हा, हाहाहाहा
पानी बूंद सही समय पर सही जगह पर बरस जाये
तो रेगिस्तान का सृजन ही नहीं होता
पर अफसोस
हर जगह बूंद नहीं बरसती
इसलिये धरा अतृप्त ही रह जाती है
और प्यास को भी सुख समझ लेती है
कुमार अहमदाबादी
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