मैं जब लगभग चौदह वर्ष का था यानि टीन एज(किशोरावस्था) में प्रवेश कर चुका था। उन दिनों अहमदाबाद के पहले डबल डेकर(आज की भाषा में मल्टीप्लेक्स कह सकते हैं) थियेटर अजंता इलोरा के इलोरा में सुरक्षा मूवी प्रदर्शित हुयी थी। उस मूवी और उस के एक गीत *मौसम है गाने का, गाने का बजाने का, ये जीवन ये सपना है दीवाने का* ने बहुत धूम मचायी थी।
वो गीत बप्पी लाहिरी ने गाया था। उस मूवी में संगीत बप्पी लाहिरी का था। मिथुन दा भी उसी मुवी से स्टार बने थे; बल्कि उस समय एक चर्चा ये भी चल पडी थी कि मिथुन की अगर एसी दो चार हीट आ गयी; तो बच्चन की सुपरस्टार की कुरसी गयी समझो।
सुरक्षा के अन्य गीत भी अच्छे थे। लेकिन शिरमौर था मौसम है गाने का
उस के बाद कयी वर्षों तक मिथुन के लिये बप्पी दा ने ही प्ले बेक दिया। दरअसल बात कुछ यूं थी कि किशोर कुमार ने मिथुन के लिये गीत गाने से मना कर दिया था; क्यों कि मिथुन का किशोर कुमार की तलाकशुदा पत्नी से रोमांस व शादी की अफवाहें चल रही थी। हालांकि मिथुन ने बाद में योगिता बाली से शादी की।
इसलिये बप्पी दा मिथुन की ऑनस्क्रीन आवाज बने। उस से पहले भी बप्पी दा कुछ बेहतरीन सुरीले गीतों की रचना कर चुके थे। उन का एक गीत *चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना, कभी अलविदा ना कहना, कभी अलविदा ना कहना* तो आज भी एक माइल स्टोन है; और सदा माइल स्टोन रहेगा।
उस समय तक के हीट गीतों में कुछ और यादगार गीत है *बंबई से आया मेरा दोस्त....* है: इस के अलावा जख्मी मूवी के *जलता है जिया मेरा भीगी भीगी रातों में, आओ तुम्हें चांद पे ले जायें* *अभी अभी थी दुश्मनी अभी है दोस्ती* : टूटे खिलौने का *माना हो तुम बेहद हंसी* है। 1979 में प्रदर्शित लहू के दो रंग मूवी के गीत *माथे की बिंदिया बोली काहे को गोरी* *चाहिये थोडा प्यार थोडा प्यार चाहिये* *मुस्कुराता हुआ गुनगुनाता हुआ मेरा यार* । ये सारे गीत बहुत सफर व लोकप्रिय हुए थे।
*और फिर आये 1982-83 के वर्ष,*
यहाँ से बप्पी दा की करियर जैसे छलांग लगाई।
अमिताभ बच्चन की नमक हलाल के गीत *आज रपट जईयो* को कौन भूल सकता है।
लेकिन सब से महत्वपूर्ण आज भी जिस की सफलता के चर्चे होते हैं वो थी *हिम्मतवाला*
इस मूवी से बप्पी दा की करियर ने एसा जम्प लगाया की हर तरफ घर घर गली गली उन के गीत गूंजने लगे।
हिम्मतवाला के साथ उसी वर्ष बाद में आयी। जस्टीस चौधरी, तोहफा के गीतों ने बप्पी दा को सफलता की नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
दरअसल,
उस समय एक एसी टीम बनी थी। जो सफलता की गारंटी थी। बप्पी दा उस टीम के महत्वपूर्ण सदस्य थे। हिम्मतवाला से कादरखान, शक्तिकपूर, श्रीदेवी, अमजदखान तथा कुछ और कलाकारों व टेक्नियनों की टीम बनी थी।
अगले आठ दस वर्ष इस टीम के सदस्यों ने खूब सफलता पायी। बप्पी लाहिरी के कयी गीत माइल स्टोन बन गये।
और फिर, जो शुरु होता है। उस का कहीं न कहीं अंत भी होता है। करियर के आखिरी वर्षों में भी बप्पी दा ने *सिल्क* ( एसा कहा जाता है कि सिल्क मूवी साउथ की डांसर सिल्क स्मिता के जीवन पर आधारित है) मूवी में *उलाला उलाला* हीट गीत कम्पोज किया था।
अब बप्पी दा अनंत की यात्रा पर रवाना हो गये हैं।
परमात्मा बप्पी दा की आत्मा को मोक्ष प्रदान करें
कुमार अहमदाबादी
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