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गुरुवार, फ़रवरी 10

आदर्श

व्यक्ति जब आयु में छोटा होता है। उस समय एक महत्वपूर्ण घटना होती है। वो ये की वो किसे अपना आदर्श मानता है। किस के जैसा बनना चाहता है। अक्सर ये होता है कि व्यक्ति जिसे आदर्श मानता है। उस आदर्श के जैसा बनना भी चाहता है। हालांकि वो ये ध्यान रखना चाहता है कि आदर्श व्यक्ति के गुण ही अपनाए। लेकिन वैसा होता नहीं है। होता ये है कि  आदर्श के गुण अवगुण कम ज्यादा मात्रा में आदर्श माननेवाले के स्वभाव में आ जाते हैं।


इसे मैं अपने पर लेकर कहूँ तो,

यूँ समझिये,

मैंने बचपन में सुनील गावस्कर, कपिलदेव, अमिताभ बच्चन को अपना आदर्श माना। आदर्श मानने के बाद उन तीनों के वो गुण थोडे बहुत प्रमाण में मेरे स्वभाव में आ ही जायेंगे। जो मुझे अच्छे लगे। जैसे गावस्कर का गुण है पररफेक्ट डिफेन्स एवं वाकचातुर्य। 


गावस्कर जब क्रिकेट की तकनीक से संबंधित कोई बात कहते हैं तो कोई उस में नुक्स नहीं निकाल सकता। गावस्कर का दूसरा महत्वपूर्ण गुण है वाकचातुर्य यानि बात कहने की, पेश करने की कला। एसा नहीं के समान हुआ है कि गावस्कर द्वारा कही गयी किसी बात या मुद्दे की किसीने गलत कहा हो। 

तो, जो आदमी गावस्कर को आदर्श मानेगा। उस व्यक्ति में अपने आप गावस्कर के गुण कम या ज्यादा प्रमाण में आने लग जायेंगे। 

इसी तरह अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व को देख लीजिये। अमिताभ के खुद के जीवन में वैसी घटना घटी। जैसी वो फिल्मों में निभाते थे। 

अमिताभ ने फिल्मों अक्सर एसे इंसान का रोल निभाया है। जो जमाने द्वारा सताया गया, पीडीत किया गया। लेकिन परदे पर नायक के तौर पर अमिताभ प्रत्येक विघ्न को पार कर के या पीछे छोडकर  विजेता बनकर निकले। दूसरे शब्दों में कहें तो हरेक विघ्न को पार कर के किनारे पर पहुंचे। 

अमिताभ के निजी जीवन में भी यही हुआ। फिल्मों में हीरो बनने की उमर निकलने के बाद एंटरटेनमेंट कंपनी बनाई तो उस में बहुत बडा घाटा खाया। घर बार नीलाम होने की तैयारी हो गयी। लेकिन अमिताभ फिल्मों के नायक की तरह परिस्थितियों से जूझकर आर्थिक फिर खडे हुये। 


तीसरे हैं कपीलदेव

सीधा सरल निश्छल और देशप्रेम से भरा व्यक्तित्व

एसा व्यक्ति जिसने अपनी काबिलियत से देश के क्रिकेट इतिहास में एसे पन्ने लिखे। जिस के बारे कभी किसी ने सोचा तक नहीं था। कपिलदेव से पहले भारत के क्रिकेट इतिहास में एसा कोई तेज गेंदबाज आया नहीं था। जिसे खेलने के लिये विदेशी बल्लेबाजों ने हेल्मेट पहना हो। कपिलदेव से पहले किसी तेज गेंदबाज ने भारत को टैस्ट मैच जिताया नहीं था। कपिलदेव के आने के बाद आज एसी परिस्थिति है कि भारत का तेज गेंदबाजी का आक्रमण विश्व के श्रेष्ठ आक्रमणों में से एक है। 


सुनील गावस्कर के आने से पहले ये माना जाता था। भारत के बल्लेबाज तेज गेंदबाजी को सही तकनीक व अच्छी तरह से खेल नहीं सकते। सुनील गावस्कर ने क्या किया? सुनील गावस्कर ने विश्व के एक से एक लाजवाब तेज गेंदबाजों को हेल्मेट पहने बगैर खेला। उस पर सोने में सुहागा ये कि जिस टीम के पास एक से बढकर एक बेहतरीन तेज गेंदबाज थे। उस वेस्ट इंडीज के विरुद्ध सब से ज्यादा सफलता प्राप्त की। वेस्ट इंडीज के विरुद्ध तीन दोहरे शतक बनाये। वेस्ट इंडीज के विरुद्ध एक टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक बनाने का पराक्रम दो बार किया। 

क्रिकेटरों की जो पीढी गावस्कर को देखकर बडी हुयी। उस में गावस्कर वाले क्रीज पर जम जाने के और बडे बडे स्कोर बनाने के गुण आ गये। गावस्कर को आदर्श माननेवाले कयी बल्लेबाज मिले। जिन में सब से ज्यादा सफल सचिन तेंदुलकर हुये। 

इसलिये जीवन में आदर्श होना जरुरी है। साथ ये भी याद रखना चाहिये। हम किसे हम आदर्श मानें? बहुत सोच समझकर आदर्श को पसंद पसंदगी करना चाहिये। 

आप जैसा आदर्श पसंद करोगे। वैसे ही बनोगे। 

*महेश सोनी*

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