अंग्रेजी के रोमेण्टिसिज़म को ही हिन्दी में छायावाद कहते हैं ।
प्रकृति के मानवीकरण को ही छायावाद कहते हैं ।
स्थूल के प्रति सूक्ष्म के विद्रोह का नाम ही छायावाद है ।
प्रकृति के माध्यम से रूमानी अनुभूतियों की व्यंजना ही छायावाद है ।
दो विश्व-युद्धों के बीच की हिन्दी कविता छायावाद है ।छायावाद के प्रमुख कवि : प्रसाद, पंत, निराला और महादेवी । उदा○
१ मैं नीरभरी दुख की बदली
मेरा परिचय इतिहास यही
उमड़ी कल थी ,मिट आज चली।
••••••महादेवी वर्मा
२ न जाने नक्षत्रों से कौन
निमंत्रण देता मुझको मौन
•••••सुमित्रानंदन पंत
( प्रो○ भगवानदास जैन )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें