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मंगलवार, अगस्त 8

छायावाद(प्रो.भगवानदास जैन)

 अंग्रेजी के रोमेण्टिसिज़म को ही हिन्दी में छायावाद कहते हैं ।

 प्रकृति के मानवीकरण को ही छायावाद कहते हैं ।

स्थूल के प्रति सूक्ष्म के विद्रोह का नाम ही छायावाद है ।

प्रकृति के माध्यम से रूमानी अनुभूतियों की व्यंजना ही छायावाद है । 

 दो विश्व-युद्धों के बीच की हिन्दी कविता छायावाद है ।छायावाद के प्रमुख कवि : प्रसाद, पंत, निराला और महादेवी । उदा○

 १ मैं नीरभरी दुख की बदली

     मेरा परिचय इतिहास यही

     उमड़ी कल थी ,मिट आज चली।

                 ••••••महादेवी वर्मा

२ न जाने नक्षत्रों से कौन

   निमंत्रण देता मुझको मौन

            •••••सुमित्रानंदन पंत

       

           ( प्रो○ भगवानदास जैन ) 

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जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी