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सोमवार, अगस्त 28

चोर रो भायलो


चोर रो भायलो चोर 

ढोर रो भायलो ढोर

बात इती सी है की

मोर रो भायलो मोर

कुमार अहमदाबादी

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी