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बुधवार, अगस्त 23

पीर जी रुणिचे रा(भजन)


 

तर्ज - मोरियो आछो बोल्यो रे

पीर जी म्हारे घरां थे बेगा आवजो
म्हारे हिवड़े में आनंद अपार पीर जी
म्हारे घरां थे बेगा आवजो

1
पीर जी रुणिचे रो लागे प्यारो देवरो
थारी धजा तो फरके गिगनार पीर जी
म्हारे घरां थे......

2
पीर जी लीले पर चढ़ कर बेगा आवजो
थांरे दरसण उड़ीके नर  नार पीर जी
म्हारे घरां थे......

3
पीर जी सरधा सूं आवां थारे देवरे
झोळी भगतां री भर दी बाबा आज पीर जी
म्हारे घरां थे......

4
पीरजी स्वर्णकारां री सुण लो वीणती
अब तो थे ही खींचो भगतां री डोर पीर जी
म्हारे घरां थे......

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी