Translate

शुक्रवार, अगस्त 4

अनुदित रूबाई

રૂબાઈ  रूबाई

मूल गुजराती रूबाई और अनुदित रूबाई – 

સૂરજની રોશની ઉદયથી સમજો

સંસાર કરે યાદ વિનયથી સમજો

અંજાન પ્રકાશથી દિશાઓ ચમકે 

ઘટના છે દિન રાત સમયથી સમજો

મનહર શામિલ


रुबाई (अनूदित)

सूरज की रोशनी उदय से समझो

संसार करे याद विनय से समझो

अनजान प्रकाश से दिशाएं चमकी

घटना है दिन रात समय से समझो

अनुवादक – कुमार अहमदाबादी


मूल रूबाई चार अलग अलग छंदों में हैं। जो इस प्रकार है।

पहला मिसरा

गागागा गालगा लगागागा गा

दूसरा मिसरा

गागाल लगागाल लगागागा गा

तीसरा मिसरा

गागाल लगालगा लगागागा गा

चौथा मिसरा

गागागा गागाल लगागागा गा 

जानकारी का स्त्रोत – प्रभात प्रकाशन(मुंबई) द्वारा प्रकाशित किताब रुबाइयते शामिल (कवि – मनहर शामिल) ने साभार 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी