*सुनहरा भविष्य*
रामू अपने आसन पर बैठा बैठा कुछ गुनगुना रहा था। पास में अंगेठा रखा हुआ था। अंगेठे में लगायी हुयी अगरबत्ती अपना कर्म कर रही थी। म्यूजिक प्लेयर में भक्ति संगीत की सिर्फ धुन धीमे धीमे बज रही थी।
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रामू का दोस्त श्यामू आया। आकर वो पास बैठा। दोनों में बातचीत शुरु हुयी।
श्यामू ने पूछा 'कंई कर रेयो हो'
रामू - पावर ऑफ स्पोकन वर्ड्स
श्यामू -मतलब
रामू - अपों में केवेनी शुभ शुभ बोलो क्यों कि बोलो जिको हुवे
श्यामू - हों साची बात है। चोईस घंटों में एक वार तो बोल्योडी बात साची हुवे ई है।
रामू - बस शुभ शुभ इ ज बोल रेयो थो
श्यामू - कंई बोल रेयो थो, मनें इ सुणा
रामू - ले तूं ई सुण
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*(मन री बात)*
घाट आयो रे मनवा आयो रे मनवा आयो रे
घाट आयो रे मनवा आयो रे मनवा आयो रे..घाट आयो रे मनवा
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मंदी गयी रे भायला आयगी है तेजी, आयगी तेजी
तेजी में तूं घोड़ो बण'र दौड भायला दौड़ ले रे
कर्म है पूजा कर्म है पूजा कर्म है पूजा, कर्म तूं थारो कर ले रे...घाट आयो रे मनवा
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घाट भर ले रे मनवा भर ले रे मनवा भर ले ले
सूरमो भर'र तोल कर ले रे, तोल कर ले रे मनवा कर ले रे
कर्म है पूजा, कर्म है पूजा कर्म है पूजा, पूजा कर ले रे......घाट आयो रे मनवा
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मोरत ने तूं उडीक मत भाई, दिन फिरियां काम है आयो
आयी है लछमी मुंढो मत धो, स्वागत कर ले रे
कर्म है पूजा कर्म है पूजा, कर्म है पूजा, पूजा कर ले रे.......घाट आयो रे मनवा
*कुमार अहमदाबादी*
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