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बुधवार, अगस्त 30

आणो पड़सी बाबा (बाबे रो भजन)

 तर्ज - पल्लो लटके

आणो पड़सी बाबा आणो पड़सी - 2

भगत री लाज बचावण खातिर आणो पड़सी


1.

जद जद सुगना थने बुलायो दौड्यो दौड्यो आयो

मैं भी भटक रेयो हूं बाबा बेडो पार लगावो

कि म्हाने-2 साचो साचो रास्तो दिखाणो पड़सी


2.

घरां नहीं तो बाबा म्हारे हिवडे में बस जावो

रुणिचे रा श्याम धणी थे हंसकर गले लगावो

म्हारो-2 कोई नहीं है बाबा थांने आणो पड़सी


3.

थोड़ी किरपा कर दो बाबा पैदल थांरे आवां

मनसा पूरी कर दो अब तो दरसन थारा पावां

पीर जी -2 थांरे शरणे आया अब तो आणो पड़सी


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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी