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सोमवार, अप्रैल 10

ये नजर मार डालेगी(रुबाई)

ये नजर मार डालेगी मुझे ए सनम

ये अलकलट चुराएगी मुझे ए सनम

जानता हूं कला को मानता भी हूं मैं

शाम को तू सताएगी मुझे ए सनम

कुमार अहमदाबादी

 

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी