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शुक्रवार, अप्रैल 21

तड़पाएगी(मुक्तक)


जानता हूं तू मुझे तड़पाएगी

औ’ कभी एकांत में हंसाएगी

सामने जब आएगी सब भूलकर

दौड़कर मेरे गले लग जाएगी

*कुमार अहमदाबादी* 

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जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी