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शुक्रवार, अप्रैल 28

आता हूं जाता हूं(मुक्तक)


आता हूं मैं वापस जाता भी हूं

ले जाता हूं कुछ मैं लाता भी हूं

चलता है मेरा ये आना जाना

खोता हूं कुछ कुछ मैं पाता भी हूं

कुमार अहमदाबादी

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी