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सोमवार, अप्रैल 24

चांद छाया(मुक्तक)


शुक्र छाया रागिणी पर
छा गया है वादिनी पर
पूर्णिमा की चांदनी में
चांद छाया चांदनी पर
कुमार अहमदाबादी


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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी