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बुधवार, अप्रैल 12

राधिका का गीत(मुक्तक)

 

राधिका ने गीत गाया प्रेम का
बांसुरी ने राग छेड़ा प्रेम का
रागधारा प्रेमधारा यूं बही
की बहा गगरी से झरना प्रेम का
कुमार अहमदाबादी


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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी