Translate

सोमवार, जनवरी 31

ब्रह्मचक्र

 खोने और पाने का चक्र 

अविरत चलता रहता है

देखिये ना, मैंने यानि एक आत्मा ने

अलौकिक पंच तत्वों को छोडा तो

माता की कोख में स्थान पाया

कोख को छोडा तो संसार को पाया

संसार में बचपन को छोडा तो?

बचपन को छोडा तो जवानी पायी

जवानी को छोडा तो वृद्धावस्था को पाया

वृद्धावस्था को छोडा तो?

वृद्धावस्था को छोडा तो चिता को पाया

चिता को छोडूंगा तो वही पाउंगा

जिन्हें छोडकर संसार को पाया था

और संसार को क्या छोडकर पाया था?

वही अलौकिक असीमीत तत्व

पंचतत्व 

ब्रह्माण्ड में यही चक्र है 

जो निरंतर घूमता रहता है

ब्रह्माण्ड का चक्र

ब्रह्मचक्र

कुमार अहमदाबादी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी