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बुधवार, जनवरी 5

नारी की भाषा


तुम समझो भोलेनाथ
मैं एक नारी हूँ
नारी मन को व्यक्त करने के लिये
किसी शब्द का प्रयोग नहीं करती
वो हमेशा संकेतों का सहारा लेती है
मंद मंद मुस्कराना,
नजर चुराते हुये नजर मिलाना
शरमाना, न शरमाते हुये भी शरमाना, 
आंख झुकाना, चूडी बजाना
पायल छनकाना, प्यारा गीत गुनगुनाना
अब इतना कहने पर भी नहीं समझे
तो मुझे लगता है
तुम सचमुच भोले हो
*कुमार अहमदाबादी*

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