ये जो अलकलट तुम्हारी आंखों के आगे आयी है
ये हंस सी सफेद दंतपंक्ति जो मुस्कुरा रही है
आंख की पलक जो तुम्हें देख रही है
ये शर्मीले होठ तुम्हारे कानों को छूना चाहते हैं
इन सब के संकेतों को तुम कब समझोगे
कब मुझे शब्दों का प्रयोग करने से रोकोगे?
कुमार अहमदाबादी
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