अब तक मेरे पास मेरे आंगन में
जो भी आया लूटने के लिये आया
इस दुनिया के कुछ कुबुद्धियों ने
मुझे लूटने में और तोडफोड करने में
कोई कसर नहीं रखी
कोई तलवार लेकर आया तो कोई
व्यापारी बनकर आया
हां, एकाध बार एसा भी हुआ है कि
कोई विद्यार्थी बनकर आया
लेकिन
वो विद्यार्थी जो भी लेकर गया प्रेम से लेकर गया,
लेकिन आनेवालों दूसरों में से
कोई तलवार के जोर पर ले गया
तो
किसी ने सहायकारी योजना बनाकर लूट चलायी
सात समंदर पार से आये व्यापारीयों ने तो
न सिर्फ मुझे लूटा बल्कि
मेरे इतिहास को भी तोडा मरोडा
सदियों से चली आ रही
सारी व्यवस्थाओं को चौपट कर दिया
कला हुनर शिक्षा प्रणाली सब को तहस नहस कर दिया
लेकिन शेर बब्बरशेर
सोया हुआ सिंह जाग गया है
वो सिंह जाग गया है जिसे विश्व
अब तक देख नहीं पाया था
जो चार सिंहों के चिन्ह का
चौथा सिंह है
जो दिखता नहीं है
वो दहाडने का आरंभ कर चुका है
अब भारत फिर से
विश्व का नरेन्द्र बनने के पथ पर अग्रसर है
कुमार अहमदाबादी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें