Translate

शनिवार, जनवरी 29

चौथा शेर

मैं चौथा शेर हूँ 

जो अब तक सामने नहीं आया था

मैं सामने आना भी नहीं चाहता था

पर अब आना पड रहा है

चार शेर प्रतिक हैं

जीवन के चार आयाम

सत्य प्रेम करुणा और अहिंसा के

लेकिन विश्व के कुछ लोगों ने

अहिंसा को कमजोरी मान लिया है

वो भूल गये की

अहिंसा मैंने  विश्व की शाति के लिये  अपनायी थी 

लेकिन अब जब

विश्व कयी जगह अशांति है

कुछ जानवरों को 

बकरी होते हुये भी 

शेर होने का वहम हो गया है

इसलिये

अब मुझे यानि चौथे शेर को 

सामने आना होगा

और

इस अहिंसा शब्द का पूरा उपयोग छोडकर 

बाराक्षरी के एक अक्षर को

कछ समय के लिये 

सेवानिवृत करना होगा।

कुमार अहमदाबादी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी