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मंगलवार, जनवरी 25

भूखा कुत्ता (कहानी)

दो तीन दिन का भूखा शेरु सोसायटी के पीलर के पास बैठा था। खाने को खोज खोज कर थककर चूर हो गया था। सोसायटी में रहनेवाले भगवानदास को प्लास्टिक की एक थैली देते हुये उन की पत्नी ने कहा 'सुनो जी, ये बची हुयी ब्रेड दो तीन दिन की बासी हो गयी है। हम में से तो कोई खायेगा नहीं। आप नीचे जाकर कुत्ते शेरु को दे आइये। भगवानदास ब्रेड की थैली लेकर चल पडे। नीचे जाकर उन्होंने ब्रेड शेरु के आगे डाल दी। शेरु ब्रेड देखकर बढा। लेकिन ब्रेड के पास मुंह ले जाने के बाद तुरंत वापस घूमा लिया। मुंह घुमाने के बाद भगवानदास को देखने लगा। शेरु ने एसा दो तीन बार किया। तब भगवानदास को लगा। शेरु ब्रेड के बारे में कुछ कह रहा है। उन्होंने सारी ब्रेड को एक के बाद एक हाथ में लेकर देखा। कुछ ब्रेड कहीं कहीं से थोडी थोडी सडने लगी थी। भगवानदास समझ गये। उन्होंने जो जो ब्रेड सडी हुयी थी। उन का सडा हुआ हिस्सा तोडकर वापस प्लास्टिक की थैली में डाल लिया। बाकी ब्रेड शेरु के सामने रख दी। शेरु अपनी भूख मिटाने में व्यस्त हो गया।

कुमार अहमदाबादी

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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी