Translate

सोमवार, जनवरी 31

प्यास का विद्रोह

 

प्यास जब विद्रोह करती है तब

सारे बंधन तोड देती है

उस समय उसे प्यास बुझाने के लिये

जो भी पानी मिले

स्वीकार कर लेती है

वो ये नहीं देखती कि

पानी कुएं का है या तालाब का

नदी का है या सरोवर का

कुमार अहमदाबादी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी