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सोमवार, जनवरी 1

वो झूठे हैं(रुबाई)

 





पी ले पीने से कम होते हैं गम
पीने में क्या शरमाना छोड़ शरम
एसा जो कहते हैं वो झूठे हैं
झूठे होते हैं एसे भ्रष्ट भरम
कुमार अहमदाबादी


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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी