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गुरुवार, जनवरी 18

शंकराचार्यों का अपमान क्यों करें?

इन दिनों शंकराचार्यों के विरुद्ध की पोस्ट वायरल हो रही है. शंकराचार्यों वाली घटना को क्यों इतना महत्व दिया जा रहा है. 

इस घटना को दूसरे दृष्टिकोण से भी तो देखिए. क्या ये हिंदुओं को आपस में लड़ाने ने की अपने ही उन धर्माचार्यों के विरुद्ध करने का षड्यंत्र नहीं हो सकता? उन के ना जाने की घटना को जान बूझकर इतना उछाला जा रहा है कि सनातन धर्मी अपने ही धर्माचार्यों के विरुद्ध हो जाए. क्या एसा षड्यंत्र नहीं हो सकता? ये मानकर भी लें की चारों शंकराचार्य गलत हैं तो भी हम क्यों उन के विरुद्ध कोई बात करें? वे जिस पद पर बैठे हैं. उस पद पर बैठकर अगर कोई बात कह रहे हैं तो कम से कम एक बार तो उन की बात पर उन के मुद्दे पर विचार कर के देखिए. अगर वे गलत भी हैं तो भी उन के विरुद्ध विष वमन कर के या उन का बॉयकॉट कर के क्या सनातन धर्मी अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मार रहे हैं. वे अगर इतने महत्वपूर्ण पद पर बैठकर कोई मुद्दा कह रहे। हैं तो कोई तो कारण होगा. 

कहीं एसा तो नहीं. कोई जानबूझकर हमें हमारे धर्माचार्यों के विरुद्ध उकसा तो नहीं रहा. आज लगभग सब जानते हैं. भारत का पुनः शक्तिशाली बनना पश्चिमी जगत को रास नहीं आ रहा है. पश्चिम की कई ताकतें भारत को कमजोर करने में लगी हुई है. मोदी जी स्वयं इस बात का उल्लेख अपने प्रवचनों में कर चुके हैं. एसे वातावरण में अगर शंकराचार्य किसी भी कारण से विरोध कर रहे हैं तो ठीक है. हम सिर्फ इतना कहकर की ठीक है आप का विरोध सिर माथे पर बाकी कार्य आगे बढ़ा सकते हैं. उन के विरोध को लेकर उन के विरुद्ध उल जलूल बातें करने की या उन का बहिष्कार करने की क्या आवश्यकता है. ठीक हैं उन्हें नहीं आना ना आए. लेकिन याद रखिए. उन के लिए अपमानजनक बातें कर के हम अपने ही धर्म के शिखर पुरुषों पर लांछन लगा रहे हैं और इस प्रकार विश्व को हम पर हंसने का अवसर प्रदान कर रहे हैं. 

मेरी आप सब से हाथ जोड़कर विनंती है. शंकराचार्यों के विरुद्ध पोस्ट आए तो उसे फॉरवर्ड ना कर के डिलीट कर दीजिए. 

शंकराचार्य सही है या गलत; लेकिन हमें हमारे धर्म के सब से ऊंचे पद पर बैठे व्यक्तियों के अपमान के कार्य में किसी भी तरह सहयोग नहीं करना चाहिए. 

कुमार अहमदाबादी

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