Translate

मंगलवार, जनवरी 30

मितभाषी पत्नी

आकाश भाग्यशाली था. उसे मितभाषी पत्नी मिली थी। उस की पत्नी हमेशा आधा अधूरा वाक्य बोलती थी। जैसे उसे पति को या बच्चों को खाना खाने के लिए कहना हो तो पूरा वाक्य खाना खा लो नहीं कहती थी।

इतना ही कहती थी खाना चाय बनाकर ये नहीं कहती थी कि चाय पी लो। इतना ही कहती थी चाय वो कभी प्यार से पति को डांटती भी तो भी क्या बात है वाह मेरे भोले राजा ना कहकर सिर्फ इतना सा कहती थी वाह भोले राजा

परमात्मा की असीम कृपा हो तो ही एसी मितभाषी पत्नी मिलती है। हां, उस में एक और गुण भी है। वो अपने अधूरे वाक्यों के बचे हुए शब्दों का वाग्युद्ध के दौरान एक साथ उपयोग कर लेती है।

कुमार अहमदाबादी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी