कभी कभी विचार आता है। मिट्टी में एसा कौन सा गुण है। जिस के कारण उस में सिर्४पानी मिलाकर बनाये गये बर्तन जैसे की तवा, दीपक, बडी कोठियां वगैरह मजबूत बनते हैं। मिट्टी और पानी का मिश्रण गजब की भौतिक प्रक्रिया करता है। हालांकि इस प्रक्रिया में बर्तन बनाने वाले कुंभार की कुशल योग्यता और अनुभवी सूझबूझ भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
दो सूक्ष्म कणों के बीच में स्थित पानी उन दोनों में खिंचाव पैदा करता है। जो दोनों को जोड़ता है। जुडाव होने के बाद मिट्टी के सारे कण जुडकर आपस में जकड़ जाते हैं। लेकिन अगर उचित मात्रा से ज्यादा पानी मिलाया जाये तो मिट्टी कीचड़ बन जाती है; इसे यूं भी समझ सकते हैं। अति सर्वत्र वर्ज्यते का नियम यहां भी असर करता है। ये कुंभार की सूझ बूझ और अनुभव तय करते हैं कि मिट्टी में कितना पानी मिलाना है।
दो कणों के बीच का पानी सूख जाने पर मिट्टी के कणों में स्थित क्षार स्फटिक यानि सख्त कण बन जाते हैं। जो मिट्टी के कणों को आपस में जोड़कर रखने का कार्य करते हैं। मिट्टी के बर्तनों को घडने के बाद भट्ठी में आवश्यक तापमान पर सेक कर पक्का किया जाता है। पककर तैयार होने पर मिट्टी बर्तन या विविध पात्र बन जाती है।
इस तरह सिर्फ पंच तत्वों में से तीन तत्व मिट्टी पानी और आग के उपयोग कर के भांति भांति के बरतन एवं विविध पात्र बनाये जाते हैं।
गुजरात समाचार की ता.06-012024 शनिवार की जगमग पूर्ति के पांचवें पृष्ठ पर छपे लेख का अनुवाद
पूर्ति में लेखक का नाम नहीं है
अनुवादक - कुमार अहमदाबादी
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