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सोमवार, जनवरी 29

फरमाइश (रुबाई)


 साड़ी अच्छी बनारसी ही लाना

काजल बिन्दी मस्कारा ले आना

सजना है प्यारे सजना की खातिर

रेशम की कंचुकी भी लेकर आना

कुमार अहमदाबादी 




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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी