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रविवार, जनवरी 21

कुनण रो लटकणियो (राजस्थानी रुबाई)

 


कुंनण रो लटकणियो पेरावो जी

हीरे रो तीमणियो पेरावो जी

म्हारा मीठा नखरा उठावो जी

हाथों सूं बोरीयो पेरावो जी

कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी