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सोमवार, जनवरी 8

बसरे का मोती(रुबाई)



 जब भी तुम नखरे करती हो जानम
तब ज्यादा सुंदर दिखती हो जानम
छिड़ जाती हो जब मेरे शब्दों से
बसरे का मोती लगती हो जानम
कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी