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रविवार, जनवरी 28

मखमल की चोली(रुबाई)

 


मादक स्वर में जीवनसाथी बोली

मौसम के रस की प्यासी है झोली

पूरी कर दो मेरी इक फरमाइश

पहना दो मलमल की पीली चोली

कुमार अहमदाबादी


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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी