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सोमवार, जनवरी 15

इन्कलाबी चुनरी (रुबाई)



 नखरे करती है ये गुलाबी चुनरी
है ठस्सेदार ये नवाबी चुनरी
यूँ तो कोमल नाजुक है पर वैसे
है ये थोडी सी इन्कलाबी चुनरी
कुमार अहमदाबादी 

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी