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बुधवार, जनवरी 17

हार सा जेवर नहीं(मुक्तक)

 

याद रख तू पास तेरे रत्न है पत्थर नहीं

रत्न सा अनमोल कोई दूसरा कंकर नहीं

रत्न तेरे पास है तू रत्न को जड़ स्वर्ण में

रत्न जड़ित हार जैसा दूसरा जेवर नहीं

कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी