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बुधवार, जनवरी 10

मेरा नखरा(रुबाई)

 




आओ ना साजन घिर आये बदरा

ना आये तो बह जायेगा कजरा

आकर सावन में एसे नहलाओ

पूरा हो जाये मेरा हर नखरा 

कुमार अहमदाबादी 

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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी