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गुरुवार, जनवरी 4

गोवर्धन पर्वत शब्द की गहराई

गोवर्धन पर्वत भारतीय संस्कृति एवं साहित्य का एसा नाम है. जिस से कोई हिंदू या यूं कहो कोई भी सनातनी अपरिचित नहीं होगा. जैसा कि आप सब जानते हैं. आप इस पर्वत से जुड़ी घटनाओं से ही परिचित होंगे. इस गोवर्धन पर्वत से श्री कृष्ण का बहुत गहन संबंध है. किसी भी शब्द का गूढ़ार्थ समझने के लिए शब्द की रचना एवं उस की गहराई में जाना चाहिए. उस की रचना प्रक्रिया समझनी पड़ती है. उस के अक्षरों को अलग अलग कर के या संधि विच्छेद कर के समझना पड़ता है. 

      आइए गोवर्धन शब्द का संधि विच्छेद करते हैं. गोवर्धन गो वर्धन गो वर धन. गो गाय को कहते हैं. गाय को गौ गो कहा जाता है. वर परमात्मा द्वारा मिले विशेष गुण को या किसी कार्य विशेष को करने के लिए मिली सुविधा को कहते हैं. जैसे किसी आदमी का गला अच्छा हो या कोई वाद्य अच्छा बजाता हो तो हम कहते हैं. इसे सरस्वती ने स्वरों का वरदान दिया है; या यूं कहते हैं कि इसे सरस्वती का वरदान मिला है. कोई सुंदर चित्र बनाता है तब भी हम यही कहते हैं. गोवर्धन शब्द विच्छेद का तीसरा हिस्सा धन है. धन शब्द अनमोल वस्तु, व्यक्ति, संपत्ति के लिए उपयोग में लिया जाता है. इन तीन हिस्सों के अलावा गोवर्धन शब्द संधि विच्छेद गो वर्धन भी किया जा सकता है. वर्धन भी एक शब्द है. वर्धन यानि वृद्धि करने वाला. 

        इस तरह गोवर्धन शब्द की संधि विच्छेद से अलग हुए शब्दों के अर्थ समझने के बाद पूरे शब्द का जो अर्थ सामने आता है. वो क्या है? गोवर्धन यानि गौ माता की वृद्धि करने वाला. 

          गोवर्धन पर्वत से जुड़ी एक और घटना का गूढ़ार्थ अगले लेख में पेश करूंगा. 

*कुमार अहमदाबादी*

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