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शनिवार, जनवरी 27

बसंती चोली(रुबाई)





आवाज़ में अमरत वो मिलाकर बोली

मदमस्त मधुर प्रेम से भर दो झोली

फागुन का महीना आ गया है प्रीतम

मैंने आज पहनी है बसंती चोली

कुमार अहमदाबादी 


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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी