दुनिया क्या जाने की कवि क्यों
शब्द कृति को संभालकर रखता है
शब्द कृति में कवि नादान
प्रेम स्मृति को संभालकर रखता है.......दुनिया क्या जाने
प्रस्तावना को प्रथम नजर में सपनों को अनुक्रमणिका में
सर्वनाम में संबोधन को संज्ञा में प्रेम स्थान की
प्रेम स्मृति को संभालकर रखता है.........दुनिया क्या जाने
शब्द मरोड़ में अंग मरोड़ शब्द संधिमें आलिंगन
अल्पविराम में हां हां ना ना स्वर संधि में स्वीकृति की
प्रेम स्मृति को संभालकर रखता है.........दुनिया क्या जाने
छंदों में मीठा गुस्सा और अलंकार से मनवार
पूर्ण विराम में पूर्णानंद और काव्यकृति में संस्कृति की
प्रेम स्मृति को संभालकर रखता है..........दुनिया क्या जाने
भाव वाचक में उन्माद और गुण वाचक में मधुरता
क्रिया वाचक में प्रेम पथ और कर्म वाचक में संगम की
प्रेम स्मृति को संभालकर रखता है........दुनिया क्या जाने
क्रिया पद में प्रेम कर्म क्रिया विशेषण में चटखारे
हांसिए पर नफरत और शीर्षक में जीवन सार की
प्रेम स्मृति को संभालकर रखता है........दुनिया क्या जाने
कुमार अहमदाबादी
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