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सोमवार, जुलाई 31

भोलेनाथ अंतर्ध्यान हो गये

 अनूदित

अनुवादक - कुमार अहमदाबादी

भोलेनाथ एक कविराज की शब्द तपस्या से प्रसन्न हो गये। शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ उस के सामने प्रगट हुये। प्रगट होकर बोले *मैं प्रसन्न हुआ। बोल तुझे क्या चाहिए?

कविराज ने कहा “भोलेनाथ, मुझे पत्नी से जूझने की शक्ति दीजिए।"

भोलेनाथ ने कहा “लगता है तुमने भांग का ज्यादा सेवन कर लिया है!”

इतना कहकर भोलेनाथ अंतर्ध्यान हो गये। 

अनुवादक - कुमार अहमदाबादी

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