बात मेरी मान भर दे जाम है पीना
आज तेरे हाथ से ये जाम है पीना
घोलकर तेरी अदाएं शोखियां इस में
आज तेरे हाथ से ये जाम है पीना
रस मिलाकर प्रेम से अंगूरी आंखों का
आज तेरे हाथ से ये जाम है पीना
एक दूजे को पिलायें हम ये कहकर की
आज तेरे हाथ से ये जाम है पीना
देह रस को घोलकर प्याले में तृप्ति तक
आज तेरे हाथ से ये जाम है पीना
*कुमार अहमदाबादी*
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